बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पिछले कुल सालों में विशेषकार 1980 के दशक से व्यवहारिक अर्थशास्त्र के अन्तर्गत विश्व के विभिन्न देशों के मध्य उत्पादन वृद्धि दरों में व्याप्त विषमता के अध्ययन एवं विश्लेषण का प्रचलन बढ़ा है। इस अन्तर्जात संवृद्धि के प्रति उत्तरदायी विभिन्न कारकों की भूमिका की विवेचना जिस सिद्धान्त पर आधारित है उसे "विकास का नवीन सिद्धान्त" अथवा "अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त' (Endogenous Growth Theory) के नाम से जाना जाता है।
इस सिद्धान्त की व्याख्या में निम्न प्रमुख कारकों की भूमिका महत्वपूर्ण है-
1. विश्व के निर्धनतम देशों के निष्पादन पश्चात् की स्थिति तथा विभिन्न देशों के बीच विकास दरों में बढती भिन्नता।
2. आँकड़ों की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी जो विश्वसनीय अर्थमितीय कार्य को संभव बनाते हैं।
3. पथ भंग अध्ययन (Path Breaking Studies) जो इस परिकल्पना का खण्डन करता है कि कालपर्यन्त विकासशील एवं विकसित देशों की प्रति व्यक्ति आय अभिमुख हो जायेगी। इस परिकल्पना की भविष्यवाणी नव क्लासिकी वृद्धि सिद्धान्त पर आधारित है जो पूँजी के ह्रासमान प्रतिफल की मान्यता जो अंगीकार करता है जिसके दिये होने पर समान अधिमान एवं प्रौद्योगिकी वाले देशों के बीच गरीब देशों के विकास की गति धनी देशों की अपेक्षा अधिक होगी। सोलो के उत्पादन फलन उपागम में वर्णित सोलो अवशेष अधिक विकास के एक बड़े अंश की व्याख्या करने में सफल नहीं रहा। इस सम्बन्ध में अब्रामोविट्ज (Abramovitz) ने इंगित किया है कि यह ( सोलो अवशेष), संवृद्धि के कारणों की समुचित व्याख्या करने में असफल रहा है। अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त आर्थिक विकास की प्रक्रिया का अपेक्षाकृत अधिक स्पष्ट चित्र प्रस्तुत करता है क्योंकि यह पूँजी संचय पर जोर देता है, तकनीकी परिवर्तन की अन्तर्जात विधियों पर विचार करता है, मानव पूँजी की भूमिका को महत्व प्रदान करता है तथा शोध एवं विकास के महत्व पर बल प्रदान करता है। इस सिद्धान्त की सहायता से विभिन्न देशों के बीच राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर के बढ़ते अन्तरों का आकलन किया जा सकता है। सोलो का मॉडल केन्द्राभिमुख होने की भविष्यवाणी करता है क्योंकि यह एक देश की विकास दर तथा इसके आरम्भिक आय स्तर के बीच विपरीत सम्बन्ध निरूपित करता है।
पाल रोमर (Paul Romar) अन्तर्जात सिद्धान्त के प्रमुख विवेचकों में से एक हैं। उनका कथन है कि नवीन सिद्धान्त मात्र केन्द्राभिमुख विषय से ही सम्बन्धित नहीं है बल्कि साथ ही अन्य बहुत से बातों से भी सम्बन्धित है उनका तर्क है कि नवीन सिद्धान्त इन वास्तविकता से सम्बद्ध है कि तकनीकी परिवर्तन लोगों की क्रियाओं से निकलकर आता है तथा बहुत से व्यक्तियों तथा फर्मों के पास बाजार शक्ति होती है और वे कीमत ग्रहण करने वाली नहीं होती है जैसा कि पूर्ण प्रतियोगिता में होता है अतः अविष्कार विस्तार और प्रौद्योगिकीय प्रगति में वृद्धि सम्बर्धक की प्रक्रिया को समझने के लिए अपूर्ण प्रतियोगिता के मॉडलों को आर्थिक वृद्धि के सिद्धान्त में सम्मिलित किया जाना चाहिए। यह उपागम परम्परावदी पूर्ण प्रतियोगिता नव क्लासिकी मॉडलों के विपरीत विचारधारा पर आधारित है जहाँ सरकारी हस्तक्षेप विकास की प्रक्रिया पर कोई प्रभाव डालने में सक्षम नहीं होता है। अन्तर्जात वृद्धि सिद्धान्त तकनीकी प्रगति के स्रोतों को पहचानने का प्रयास करता है तथा परिणामों सरकारी नीतियों के निहितार्थ की विवेचना करता है।
सोलो का विकास सूत्र समग्र विकास दर के निर्धारण में पूँजी आगत की लघु भूमिका को निरूपित करता है। उत्पादकता की वृद्धि निश्चित रूप से निवेश क्रिया की दर पर निर्भर करती है, इसका तात्पर्य यह है कि निवेश की क्रियाओं में ही तकनीकी प्रगति निहित है। अन्तर्जात सिद्धान्त इस तथ्य की जाँच करने का कार्य करता है।
अन्तर्जात सिद्धान्त एक ऐसे स्पष्ट सिद्धान्त की विवेचना करता है जो प्रौद्योगिकी साधन (A) के व्यवहार का निर्धारण करता है जिसे सोलो के मॉडल में एक बहिर्जात तत्व माना गया है। अन्य शब्दों में इस सिद्धान्त में प्रौद्योगिकी एक अन्तर्जात तत्व है।
चूंकि विभिन्न प्रकार के प्रौद्योगिकीय सुधार विविधताओं से भरे होते हैं अतः एक एकाकी सरल मॉडल में ऐसे प्रत्येक परिवर्तनों को सम्मिलित करना एक जटिल एवं कठिन कार्य है इस समस्या के निराकरण के लिए रोमर ने सुझाव दिया कि यह मान लिया जाना चाहिए कि जो विचार अथवा आविष्कार प्रौद्योगिकी का प्रतिनिधित्व करते हैं, वे अन्य वस्तुओं के समान ही पूँजी तथा श्रम की सहायता से उत्पादित किये जा सकते हैं। अन्य शब्दों में, उन्होंने 'इन्वेंशन फैक्ट्रीज' (Invention Factories) के अस्तित्व की कल्पना की है। ये इन्वेंशन फैक्ट्रीज और कुछ नहीं बल्कि अन्वेषण एवं आविष्कार तथा उनमें सुधार के प्रयासों में संलग्न हैं।
इस दृष्टि से एक नये उत्पादन फलन प्रौद्योगिकी का निर्माण करना संभव हो जाता है।
यह उत्पादन फलन निम्नवत स्वरूप ग्रहण कर सकता है-
AA = T ( NA, KA, A )
जहाँ AA = तकनीकी प्रगति
A = वर्तमान अथवा पहले से ही अस्तित्व में रहने वाली प्रौद्योगिकी
NA = प्रौद्योगिकी के उत्पादन कार्य में संलग्न श्रमिकों की संख्या
KA = प्रौद्योगिकी के उत्पादन कार्य में प्रयुक्त पूँजी की मात्रा
T = प्रौद्योगिकी हेतु उत्पादन फलन
यहाँ NA तथा KA क्रमशः अर्थव्यवस्था में नियुक्त कुल श्रम (N) तथा पूँजी (K) के एक अंश का प्रतिनिधित्व करती है (अर्थात NA<N तथा KA > K) | समीकरण स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित करता है कि प्रौद्योगिक एक अन्तर्जात तत्व है। श्रम तथा पूँजी को अधिक मात्रा में प्रयोग करके प्रौद्योगिकी की प्रगति की ऊँजी दर प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान प्रौद्योगिकी (A) भी प्रयोग करने पर प्रौद्योगिकी के सुधार में सहायक हो सकती है। एक शोधशाला में उत्पन्न विचार (idera) अन्य प्रयोगशाला में भी प्रस्तुत हो सकता है। अविष्कार का पेटेन्ट हो सकता है परन्तु उससे सम्बन्धित विचारों का प्रयोग अन्यों द्वारा किया जा सकता है इस दृष्टि से प्रौद्योगिकी एक गैर अपवर्जी अर्थात् सार्वजनिक वस्तु है।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रौद्योगिकी की वृद्धि दर तथा परिणामी उत्पादन की वृद्धि दर स्थायी रूप से बढ़ायी जा सकती है। प्रौद्योगिकी के सम्बन्ध में ऐसा होना संभव है। पूर्व में वर्णित प्रौद्योगिकी उत्पादन फलन के आधार पर एक नवीन उत्पादन फलन की रचना निम्नवत की जा सकती है। जो प्रौद्योगिकी उत्पादन में प्रयुक्त श्रमिकों की मात्रा तक ही सीमित है-
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- प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
- प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
- प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
- प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
- प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
- प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
- प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
- प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
- प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
- प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
- प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
- प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
- प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
- प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
- प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
- प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
- प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
- प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
- प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
- प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
- प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
- प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
- प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।